सपा ग्रामीण में हावी गुटबाजी, दिग्गजो ने किया किनारा
अपनी अपनी ढपली, अपना अपना राग अलाप रहे नये पुराने पदाधिकारी
पदाधिकारियों के हाथो का खिलौना भर बन कर रह गये कार्यकर्ता
आपस में पत्ता काट, हाई कमाने से मिलने की मची होड

कानपुर महानगर। वर्तमान समय में समाजवादी पार्टी ग्रामीण कार्यालय नये-पुराने पदाधिकारियों की जोर आजमाईश तथा आपसी खींचातानी का अड्डा बन गया है। पुराने पदाधिकारियों को किनारे कर नये पदाधिकारी बनाये जाने के कारण हालात बिगड गये है। जहां पुराने पदाधिकारियों का कहना है कि पार्टी को सही दिशा में ले जाने के लिए अच्छी योजना और सोंच की आवश्यकता है तो वहीं नये पदाधिकारियों को अनुभवहीन और उत्साही बताते हुए कहा गया कि पार्टी जब एक संगठन के रूप में काम करती है तो अच्छे परिणाम सामने आते है और जब लोग सिर्फ अपने फायदे के लिए काम जुडते है तो पार्टी को नुकसान पहुंचता है।
सपा ग्रामीण पार्टी कार्यालय में जब से नये अध्यक्ष राघवेन्द्र सिंह यादव ने कार्यभार संभाला है तब से जिला इकाई में अंदर ही अंदर असंतोष की आग सुलग रही है। कुछ पूर्व वरिष्ठ पदाधिकारी यह पचा नही पा रहे है तो वहीं जिलाध्यक्ष राघवेन्द्र सिंह भी पुराने पदाधिकारियों को साध पाने में नाकामयाब रहे है। अब उन पर चाटुकारो से घिरे होने का आरोप लगाया जा रहा है। पुराने पदाधिकारियों को पार्टी से किनारे कर दिया गया है तथा उनकी उपेक्षा की जा रही है। वहीं पार्टी ग्रामीण कार्यालय में ही गुटबाजी होने लगी है। इन सबके बीच ग्रामीण संगठन की स्थिति में भी गिरावट आ रही है। कार्यकर्ता यह नही तय कर पा रहा है कि किसके और कैसे निर्देशो पर उसे कार्य करना है। दिग्गजो का आरोप है कि कार्यालय में चलने वाले खेल को कहीं और से ही खेला जा रहा है क्योंकि नए अध्यक्ष द्वारा वरिष्ठ पदाधिकारियों को किनारे कर दिया गया है। आरोप लगाया कि जिलाध्यक्ष राघवेन्द्र सिह ने कार्यकारिणी गठन में भी अपनी ही मनमानी चलायी। वर्तमान समय में ग्रामीण सपा पार्टी कार्यालय में सीनियर पदाधिकारियों का आना बंद है। वरिष्ठो का कहना है कि वर्तमान में ग्रामीण संगठन पदभ्रष्ट हो कर रह गया है। अयोग्य तथा अनुभवहीन नेतृत्व के कारण संगठन कमजोर होता जा रहा है। कार्यालय में बैठको के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। किसी पदाधिकारी को कोई समझ नही है। कुछ निचले स्तर के छोटे नेताओ के कहने पर ग्रामीण संगठन चलाया जा रहा है। बताया जाता है कि सपा शहर के कुछ पदाधिकारी ग्रामीण में अपने कार्यक्रम करते है और वहां अपनी फोटो ओैर समाचार छपवाते है। आये दिन छोटे-मोटे कार्यक्रमों में 10-15 लोग खडे होकर अपनी फोटो खिचवाते नजर आते है तो कहीं किसी को कोई पद देने के उपरान्त स्वागत किया जाता है लेकिन संगठन के प्रति न तो अध्यक्ष और न ही कोई नया पदाधिकारी ध्यान दे रहा है। सूत्रो की माने तो वरिष्ठ सपा नेता लाल सिंह तोमर ने जिला इकाई में उपाध्यक्ष पद के लिए अपने पुत्र अतुल तोमर को आगे लाने का प्रयास किया था लेकिन जिलाध्यक्ष राघवेन्द्र ने इनकी भी कुछ नही सुनी, ऐसा ही कुछ पूर्व विधायक मुनीन्द्र शुक्ला के साथ भी हुआ। इसी प्रकार महत्वपूर्ण पदो के लिय कुछ वरिष्ठो की सूी में गोविन्द त्रिपाठी स्वामी, साधू यादव तथा सचिन वोहरा जेसे नाम भी थे लेकिन इन्हे भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। वहीं शिवकुमार बेरिया, लाल सिंह तोमर, मुनीन्द्र शुल्का, अशोक कटियार, अनिल कटियार जैने दिग्गजो की भी एक नही चलने दी गयी। फिलहाल सभी दिग्गजों से ग्रामीण इकाई से दूरी बना ली है। यदि दिग्गजो की माने तो उनका मानना है कि ग्रामीण संगठन के लिए यह गुटबाजी भारी पड सकती है। अनुभवहीनता के कारण ग्रामीण इकाई ही नही बल्कि पार्टी को भी नुकसान उठाना पड सकता है।
सर्वोत्तम तिवारी की रिपोर्ट